TOP LATEST FIVE BEST HINDI STORY URBAN NEWS

Top latest Five best hindi story Urban news

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By means of vivid storytelling and meticulous research, Rahul Sankrityayan weaves together a tale of Indian history, mythology, and philosophy. The novel explores the themes of social improve, cultural continuity, as well as the cyclical mother nature of lifestyle. This Hindi fiction book is celebrated for its literary richness, historical depth, as well as creator’s power to existing elaborate Tips in an accessible method.

रास्ते में, उनका सामना एक शक्तिशाली राक्षस से हुआ, लेकिन बोधिसत्व में पर्याप्त आत्मविश्वास था और वे घबराए नहीं। उसके आत्मविश्वास और निडर रवैये को देखकर राक्षस ने उसे जाने दिया। वन छोड़ने से पहले, बोधिसत्व ने राक्षस को भक्ति के मार्ग पर चलने और क्रूरता के मार्ग को छोड़ने का आदेश दिया। कुछ लोग अभी भी जंगल के बाहर इंतजार कर रहे थे। बोधिसत्व ने उन्हें सारी बातें बताईं और फिर बनारस की ओर चल पड़े। आगे जाकर जब बोधिसत्व राजा बना तो उसने बड़ी ईमानदारी और बुद्धि से लोगों की सेवा की और देश की सेवा की।

चिट्ठी-डाकिए ने दरवाज़े पर दस्तक दी तो नन्हों सहुआइन ने दाल की बटली पर यों कलछी मारी जैसे सारा कसूर बटुली का ही है। हल्दी से रँगे हाथ में कलछी पकड़े वे रसोई से बाहर आई और ग़ुस्से के मारे जली-भुनी, दो का एक डग मारती ड्योढ़ी के पास पहुँची। “कौन है रे!” शिवप्रसाद सिंह

हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों का व्यापक शब्दकोश

उसकी मां अपने लंबे से सूंढ़ में लपेट कर चिंटू को जमीन पर ले आती है।

एक दिन रूपा बगीचे में खेल रही थी। तभी उसके पास एक तितली आ कर बैठी। इसके पंखों में हीरे जड़े हुए थे। तभी तितली उड़ चली और रूपा उसका पीछा करते करते जंगल में निकल गयी। कुछ देर बाद रूपा को एहसास हुआ की वह भटक गयी है। तभी तेज़ तूफ़ान शुरू हो गया और रूपा रोने लगी। अचानक से रूपा के पीछे लगे पीपल के पेड़ की डाली आगे आयी और उसने रूपा उठा कर कहा की उसके रहते रूपा को डरने की कोई ज़रुरत नहीं है। जब तक तूफ़ान थम नहीं गया, पीपल के पेड़ ने रूपा को अपने अंदर छिपाये रखा। तब तक रूपा को ढूंढते हुए सैनिक आ गए और उसे अपने साथ महल वापस ले गए।

किसी जगह पर more info पीपल का एक बहुत बड़ा पेड़ था। वहां रहने वाले लोगों का यह मानना था की यह पीपल का पेड़ बहुत पवित्र है। कुछ समय बीता, वहां केराजा की एक बेटी हुई। बेटी का नाम रूपा रखा गया। रूपा को बाग़-बगीचे में खेलना बहुत अच्छा लगता था। जैसे ही रूपा की पढ़ाई पूरी होती, वह सीधे राज बगीचे में खेलने चली जाती।

संत से कहा – आप जानते हैं बिच्छू का स्वभाव नुकसान पहुंचाने का होता है।

मंदिर के बाहर कुछ लड़कों ने उसे पकड़ लिया।

एक झोंपड़े के द्वार पर बाप और बेटा दोनों एक बुझे हुए अलाव के सामने चुपचाप बैठे हुए थे और अंदर बेटे की जवान बीवी बुधिया प्रसव-वेदना में पछाड़ खा रही थी। रह-रहकर उसके मुँह से ऐसी दिल हिला देने वाली आवाज़ निकलती थी, कि दोनों कलेजा थाम लेते थे। जाड़ों प्रेमचंद

उसके पानी से घर में साफ सफाई हुई। रसोई घर में खाना को ढकवा दिया। जिसके कारण मक्खियों को खाना नहीं मिल पाया।

दुर्भाग्य से इस कहानी की अब तक की गई चर्चा सिर्फ़ इसके कथ्य यानी एक गहरे भावुक प्रेम की त्रासद विडंबना के ही संदर्भ में की गई है और जिसका आधार लहना सिंह और उसकी प्रेमिका के बीच के इस संवाद तक हमेशा समेट दिया जाता है :

पारिवारिक संबंधों के मार्मिक विघटन और बढ़ती संवेदनहीनता की यह कहानी चेखव की विख्यात कहानी 'एक क्लर्क की मौत' की तरह ही महत्वपूर्ण है.

लेकिन उसे अपनी लंबी पूंछ पर बहुत गर्व था। अपनी लंबी लंबी पूंछ के कारण, वह कभी अपने पड़ोसियों के पास नहीं जा सका। वह केवल बड़े घरों और पैसे वाले लोगों से मिलने जाता था। उसके घमण्ड के कारण उसके पड़ोसी उसे नापसंद करने लगे। वे पीठ पीछे मोर का मजाक उड़ाते थे। एक दिन उन्होंने उस से मज़ाक करने का करने का फैसला किया। उन्होंने कहा कि एक बर्ड क्लब बनाया गया है और सभी पक्षियों ने मोर को अपना नेता

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